जीवन-संगीत के नये आयाम ( फ़रवरी 3 , 2014 रात्रि 1.36 )
दिनांक 24 जनवरी की शाम एक नये संगीत का जन्म हुआ | जब भी किसी नयी चीज़ की रचना होती है तो उससे पूर्व का समय अत्यंत कष्ट भरा रहता है तथा रचित नवजात गीत के लिए शैशव कालीन समय भी अनिश्चितता व् जीवंतता का गाम्भीर्य बनाये रखता है । नई रचना के बीजों के उर्वरक धरातल पर पड़ने के वक्त ,तदन्तर बीज के अंकुरित होने पर धात्री-चेतना के पटल पर पड़ने वाली कष्टकारी रेखाओं का राक्तिक-अंकन होना ऐसी सृजनत्मकता पर होना स्वाभाविक है |
गीत अभी अपनी शैशव-अवस्था से गुजर रहा है । देखते हैं भविष्य ने अपने गर्भ में इस के लिए क्या छुपा रखा है ।
फ़िर पुनः !!
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